श्री मोहनलाल सुखाड़िया कांग्रेस पार्टी और हमारे देश के अग्रणी नेता थे। एक निष्ठावान राष्ट्रसेवक और कुशल प्रशासक थे।
श्री नरसिंहराव
श्री नरसिंहराव ने श्री सुखाड़िया जी के विषय में अक्षरश: नेहरू युग का प्रतिपालन और प्रतिपादन उन्होंने अभूतपूर्व ढंग से किया तो गलत न होगा !!
श्री सुखाड़िया जी ने अपने जीवन काल में राजस्थान की एक अनोखी राजनीति के कविता बन कर वहाँ की गुंजन बनने का श्रेय प्राप्त किया।
श्री हरिदेव जोशी
सुखाड़िया साहब राजनेता थे, राजनीती उनका कार्य क्षेत्र था। उसमे मनुष्यता का निर्वहन सुखाड़िया जी ने जितना किया, उतना कोई दूसरा कदाचित ही कर पाये।
श्री जनार्दनराय नागर
श्री मोहनलाल सुखाड़िया निःसंदेह वृहद् जनतंत्रीय राजस्थान के चतुर्दिक शिलान्यास थे।
श्री शिवचरण माथुर
सुखाड़िया जी की ज़िन्दगी एक पैगाम थी। राजस्थान की विकास योजनाओ का मुलतः सारा श्रेय सुखाड़िया जी को ही है।
डाॅ. सम्पूर्णानन्द
कुछ लोग कहते है कि सुखाड़िया जी तेली के बैल की तरह काम में दिन रात जुटे रहते है। यदि यह उपमा ठीक है तो उस बैल की बहुत बड़ी क्षमता होगी, जो अकेले स्वयं परिश्रम न करें, बल्कि अपने समान और बहुत से तेली के बैल पैदा कर दे।
श्री भैरोंसिंह शेखावत
विधान सभा में एक बार कहा कि लोकतंत्र में जनता के समक्ष झुकने या घुटने टेकने में संकोच नहीं होता परन्तु खुशी होती है - ये शब्द उनके अनमोल हैं और राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वालों के लिये मार्गदर्शक भी है।
श्री बरकतुल्ला खां
वास्तव में सुखाड़िया जी सच्चे अर्थ में आधुनिक राजस्थान के निर्माता थे।
श्री निरंजननाथ आचार्य
प्रशासन का स्वरूप जैसा भी रहा हो, किन्तु राजस्थान के विकास में श्री सुखाड़िया का योगदान निश्चय ही उनके कार्यकाल का स्वर्णिम पृष्ठ होगा।
जवाहरलाल नेहरू
श्री सुखाड़िया हमारे भविष्य की आशा है।
इंदिरा गांधी
श्री मोहनलाल सुखाड़िया कांग्रेस पार्टी और हमारे देश के अग्रणी नेता थे। एक निष्ठावान राष्ट्रसेवक और कुशल प्रशासक थे।
श्री नरसिंहराव
श्री नरसिंहराव ने श्री सुखाड़िया जी के विषय में अक्षरश: नेहरू युग का प्रतिपालन और प्रतिपादन उन्होंने अभूतपूर्व ढंग से किया तो गलत न होगा !!
श्री सुखाड़िया जी ने अपने जीवन काल में राजस्थान की एक अनोखी राजनीति के कविता बन कर वहाँ की गुंजन बनने का श्रेय प्राप्त किया।
श्री हरिदेव जोशी
सुखाड़िया साहब राजनेता थे, राजनीती उनका कार्य क्षेत्र था। उसमे मनुष्यता का निर्वहन सुखाड़िया जी ने जितना किया, उतना कोई दूसरा कदाचित ही कर पाये।
श्री जनार्दनराय नागर
श्री मोहनलाल सुखाड़िया निःसंदेह वृहद् जनतंत्रीय राजस्थान के चतुर्दिक शिलान्यास थे।
श्री शिवचरण माथुर
सुखाड़िया जी की ज़िन्दगी एक पैगाम थी। राजस्थान की विकास योजनाओ का मुलतः सारा श्रेय सुखाड़िया जी को ही है।
डाॅ. सम्पूर्णानन्द
कुछ लोग कहते है कि सुखाड़िया जी तेली के बैल की तरह काम में दिन रात जुटे रहते है। यदि यह उपमा ठीक है तो उस बैल की बहुत बड़ी क्षमता होगी, जो अकेले स्वयं परिश्रम न करें, बल्कि अपने समान और बहुत से तेली के बैल पैदा कर दे।
श्री भैरोंसिंह शेखावत
विधान सभा में एक बार कहा कि लोकतंत्र में जनता के समक्ष झुकने या घुटने टेकने में संकोच नहीं होता परन्तु खुशी होती है - ये शब्द उनके अनमोल हैं और राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वालों के लिये मार्गदर्शक भी है।
श्री बरकतुल्ला खां
वास्तव में सुखाड़िया जी सच्चे अर्थ में आधुनिक राजस्थान के निर्माता थे।
श्री निरंजननाथ आचार्य
प्रशासन का स्वरूप जैसा भी रहा हो, किन्तु राजस्थान के विकास में श्री सुखाड़िया का योगदान निश्चय ही उनके कार्यकाल का स्वर्णिम पृष्ठ होगा।